भारतका सुपरहीरो Green Man द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

भारतका सुपरहीरो

कोई गैलेक्सी का जॉर्ज नाम का ग्रह था उधर से एक परीक्षण अंतरिक्ष जहाज निकल चुका था। वो धीरे धीरे दूसरी गैलेक्सी की ओर बढ़ने लगा। जब वो दूसरी गैलेक्सी में प्रवेश करने ही वाला था तभी कोई बड़ी सी उल्का ने उसके साथ टक्कर मार दी। वह जहाज की धातु इतनी सख्त थी कि वो उल्का के चूरे चूरे हो गए। जहाज के साथ टक्कर मारने की वजह से जहाज में कुछ तकनीक की खराबी आ गई थी।

खराबी की वजह से वो जहाज ने अपना रास्ता मोड़ लिया और दूसरी तरफ चल पड़ा। खराबी की वजह से वो जहाज ने अपना सेल्फ कंट्रोल खो दिया था। यह यान धीरे धीरे आकाश गंगा में प्रवेश हो गया और आगे बढ़ते हुए सौर मंडल में आ पहुंचा। वह यान सूर्य की ग्रेविटी के कारण उसकी ओर खिंचने लगा। वह यान सूर्य की ओर बढ़ने लगा, उस समय वह यान पृथ्वी में से पास हुआ। पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के बाद सूर्य का आकर्षण बंद हो गया और जमीन की ओर बढ़ने लगा।
पश्चिम भारतीय लेबोरेटरी......
सुबह के दस बजे थे, पश्चिम भारतीय लेबोरेटरी में कोई अजनबी यान जमीन की ओर बढ़ने की जानकारी मिली। वो यान टेलीस्कोप की मदद से देखा गया था और भारतीय लेबोरेटरी के द्वारा उस यान पर उसकी पहचान बताने का मैसेज सेंड किया। फिर भी उसका कोई प्रत्युत्तर नहीं आया। यान एकदम तेजी से पश्चिम भारत के कोई पहाड़ी प्रदेश में गिरा। वो जगह लेबोरेटरी से कम से कम पांच किलोमीटर की दूरी पर थी।

लेबोरेटरी हेडने वायु सेना के कमांडर से बात की और एक सैन्य दल हेलीकॉप्टर के साथ भेजने की रिक्वेस्ट की। थोड़ी ही देर में वायु सेना के लोग हेलीकॉप्टर लेकर आ गए थे उस हेलिकॉप्टर में थोड़े साइंटिस्ट बैठकर जो जगह पर वो यान गिरा था वो जगह की ओर आगे बढ़ने लगे।

हेलीकॉप्टर उधर पहुंचा और उसे नीचे उतारा गया, सभी वायु सेना के जवानों अपने अपने हाथ में मशीन गन लेकर नीचे उतरे और वो यान की ओर बढ़ने लगे। सभी की एक उंगली गन की ट्रिगर पर थी। वह यान ऊपर से गीरने की वजह से आधा जमीन में घुस गया था और उसमें से धुआं निकल रहा था। जब यह यान जमीन पर गिरा तभी वो पहाड़ की समतल जगह पर गिरा था वरना उसके चिथड़े उड़ जाते जो वो पहाड़ के साथ टकराया होता।

यह यान गिरने की वजह से बहुत बड़ा धमाका हुआ था और आधे लोगों ने यह यान को गिरते हुए भी देखा था। इसलिए वो लोग यह देखने के लिए उधर पहुंच गए थे ,मगर आर्मी की मदद से उन सब को उधर से भगा दिया था। वायु सेना के लोगों ने वो यान को चारों ओर से घेर लिया था क्योंकि उसका कद छोटा था। कम से कम उसका व्यास बारह मीटर की आसपास था और उसकी ऊंचाई छह मीटर के आसपास थी। वायु सेना के लोग एकदम वो यान की नजदीक पहुंच गए थे, उन लोगों ने देखा कि यान का दरवाजा तो बंद ही था। वायुसेना का एक सीनियर था उसने चारों तरफ चक्कर मार के पहले देख लिया कि कोई खतरा तो नहीं है बाद में हेलीकॉप्टर में बैठे साइंटिस्ट को बुलाया।

साइंटिस्ट अपना सब सामान लेकर यान की ओर पहुंचे। अपना सब इलेक्ट्रॉनिक सामान निकाल कर उस यान की जांच करने लगे। उस यान में टिक..... टिक..... की आवाज आ रही थी इसलिए कोई बॉम्ब होने की संभावना लगी। बॉम्ब खोजने के इंस्ट्रूमेंट की मदद से चेक किया, पर ऐसा कुछ था नहीं। फिर आवाज की फ्रीक्वेंसी सुन के जीधर से भी आवाज आ रही थी उसका पता मिल गया। वो आवाज के नजदीक में एक डिस्प्ले दिखाई दी, उस डिस्प्ले पर कुछ अंक दिखाई दे रहे थे और वो एक भी साइंटिस्ट उसको समझ नहीं पाया।

शाम ढलने को आई थी और यह यान को अकेले नहीं छोड़ सकते थे इसलिए उधर साइंटिस्ट और वायु सेना के लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की गई। उस यान के नजदीक में ही थोड़े तम्बू लगा दिए। रात को सेना के लोग उस यान की पहरेदारी कर रहे थे।

वापस सुबह हो गई थी सब लोग जल्दी उठ के सबने नाश्ता किया और यान की जांच में लग गए। साइंटिस्ट जो इंस्ट्रूमेंट लेकर आये थे वो नॉर्मल थे इसलिए उसकी मदद से कुछ खास माहती नहीं मिलेगी। उस यान की खास जांच करने के लिए और पावरफुल इंस्ट्रूमेंट की जरूरत थी और वो इंस्ट्रूमेंट लेबोरेटरी पर थे।

अभी वो पावरफुल इंस्ट्रूमेंट को रखने के लिए मकान की जरूरत थी इसलिए वो काम यान की थोड़े दूर ही चालू कर दिया था। नॉर्मल इंस्ट्रूमेंट की मदद से ये तो पता चल गया था कि अभी खतरा कम है। यान के आसपास ओर सुरक्षा कड़ी करने के लिए पुलिस फोर्स का इंतजाम किया। थोड़े ही दिनों में सब मकान बन चुके थे। लेबोरेटरी से आधुनिक इंस्ट्रूमेंट लाए गए और अब यान की जांच चालू हो गई थी।

सभी मकान बनने की वजह से पहाड़ के ऊपर से वो गाँव जैसा लग रहा था। उधर बहुत टाइट सिक्योरिटी रखी थी इसलिए कोई भी इंसान और प्राणी उधर घुस नहीं सकता था। थोडे ही दिनों में उसकी जांच हो चुकी थी और उसका रिपोर्ट तैयार हो गया था और वो रिपोर्ट लेबोरेटरी के हेड के पास भेज दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक यह यान दूसरी गैलेक्सी के कोई ग्रह से आया है और खराबी की वजह से ये पृथ्वी पर आ गया है। यह एकदम सख्त धातु का बनाया हुआ था और जो डिस्प्ले पर अंक दिखा रहा था वो हकीकत में समय दिखा रहा था और वो यान एक साल और दो महीने के बाद खुलेगा ऐसा वो अंक के मुताबिक पता चला। यदि ये यान जबरदस्ती से खोला जाए तो विस्फोटक की मदद से कई किलोमीटर की जमीन बंजर बना सकता था और दूसरा पता चला कि उसके अंदर कोई एक जानवर है और यह यान दूसरे ग्रह की जानकारी के लिए छोड़ा गया था।

अभी सबके मन में यही विचार चल रहा था कि अभी इसका क्या किया जाए? इस यान को तोड़ दिया जाए कि खोलने की राह देखी जाए? यह सवाल लेबोरेटरी के हेड के मन में भी आया और उसने यह रिपोर्ट वायु सेना के कमांडर को भेज दिया। फिर इसके बारे में भारत सरकार के द्वारा विचारणा की गई।

आखिरकार भारतीय सरकार के द्वारा यह आदेश आया कि मानव जीवन की जिंदगी की रक्षा करते हुए यह यान के दरवाजे खुलने तक उसकी राह देखी जाएगी और उनकी कड़ी सुरक्षा की जाएगी। यान के अंदर रहने वाले जानवर की संभावना कर के उसको मजबूत पिंजरे में बंद कर दिया, आर्मी और पुलिस को उसकी रखवाली की जिम्मेदारी सोपी गई।